मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी। मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी।
सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान। सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान।
एक दिन कलम ने मेरी, मुझसे प्रश्न व्यंग्यमय पूछा, क्यों लिखती हो काव्य , नहीं क्या का एक दिन कलम ने मेरी, मुझसे प्रश्न व्यंग्यमय पूछा, क्यों लिखती हो काव्य , ...
चंचल ,सुशील मधुर रस हाला शीतल पवन आ रही हो चढ़ जाए ,बिन पिये प्याला न सोचूं तो भी खिल चंचल ,सुशील मधुर रस हाला शीतल पवन आ रही हो चढ़ जाए ,बिन पिये प्याला न सो...
ये राज जो सदियों से दिलों में दफन हैं और शायद कभी नहीं खुलेंगे! ये राज जो सदियों से दिलों में दफन हैं और शायद कभी नहीं खुलेंगे!
छलक जाते कभी कभार , बन कर पानी। छलक जाते कभी कभार , बन कर पानी।